प्रकृति पर कुछ कविताएँ | Hindi Poems on Nature

प्रकृति हमारी जीवनदायिनी है, जो न सिर्फ हमें अपने आंचल में समेटकर, हमें शुद्ध हवा, भोजन, पानी, देती है | प्रकृति हमारी मां है जो बिना कुछ मांगे ही, हमारी सभी जरूरतों को पूरा ख्याल रखती है। मुफ्त में ढेर सारे संसाधन उपलब्ध करवाती है, जिसके इस्तेमाल से हमारा जीवन बेहद आसान हो जाता है।

लेकिन अफसोस की बात ये है की, आज इंसान अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति से जमकर खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते भविष्य में संकट गहरा सकता है।

इसलिए हमें प्रकृति के महत्व को समझने की बहुत जरुरत है और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी कुछ पैगाम देना चाहिए जिससे स्कूल के बच्चे प्रकृति की महत्वता को समझ सकें।

आज कल बच्चों को स्कूलों में प्रकृति पर कुछ कविताएं (Hindi Poems on Nature) पढ़ाई जाती है, जिससे वह अपनी प्रकृति को बचाने के लिए सजग हो सकें।

प्रकृति पर कुछ कविताएँ – Hindi Poems on Nature

१. भगवान् तेरी बनाई यह धरती

हे भगवान् तेरी बनाई यह धरती , कितनी ही सुन्दर
नए – नए और तरह – तरह के
एक नही कितने ही अनेक रंग !
कोई गुलाबी कहता ,
तो कोई बैंगनी , तो कोई लाल
तपती गर्मी मैं
हे भगवान् , तुम्हारा चन्दन जैसे व्रिक्स
सीतल हवा बहाते
खुशी के त्यौहार पर
पूजा के वक़्त पर
हे भगवान् , तुम्हारा पीपल ही
तुम्हारा रूप बनता
तुम्हारे ही रंगो भरे पंछी
नील अम्बर को सुनेहरा बनाते
तेरे चौपाये किसान के साथी बनते
हे भगवान् तुम्हारी यह धरी बड़ी ही मीठी

दोस्तों, हम जानते हैं की प्रकृति के बिना हम कुछ भी नहीं हैं। प्रकृति बहुत सी खूबसूरत और शानदार चीजे दी हैं जिन्हें देखकर हर कवि को कुछ न कुछ कविताएँ लिखने का मन करता है। किसी कवि ने भी क्या खूब लिखा है...  आज हम आपके लिए प्रकृति पर कुछ कविताएँ – Hindi Poems on Nature लायें हैं आपको जरुर पसंद आयेंगें —

२. प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है

ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचते सुंदर मोर
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये खुबसूरत चांदनी रात
ये तारों की झिलमिलाती बरसात
ये खिले हुए सुन्दर रंगबिरंगे फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे

३. मौसम बसंत का

लो आ गया फिर से हँसी मौसम बसंत का
शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का
गर्मी तो अभी दूर है वर्षा ना आएगी
फूलों की महक हर दिशा में फ़ैल जाएगी
पेड़ों में नई पत्तियाँ इठला के फूटेंगी
प्रेम की खातिर सभी सीमाएं टूटेंगी
सरसों के पीले खेत ऐसे लहलहाएंगे
सुख के पल जैसे अब कहीं ना जाएंगे
आकाश में उड़ती हुई पतंग ये कहे
डोरी से मेरा मेल है आदि अनंत का
लो आ गया फिर से हँसी मौसम बसंत का
शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का
ज्ञान की देवी को भी मौसम है ये पसंद
वातवरण में गूंजते है उनकी स्तुति के छंद
स्वर गूंजता है जब मधुर वीणा की तान का
भाग्य ही खुल जाता है हर इक इंसान का
माता के श्वेत वस्त्र यही तो कामना करें
विश्व में इस ऋतु के जैसी सुख शांति रहे
जिसपे भी हो जाए माँ सरस्वती की कृपा
चेहरे पे ओज आ जाता है जैसे एक संत का
लो आ गया फिर से हँसी मौसम बसंत का
शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का

४. महका हुआ गुलाब

है महका हुआ गुलाब
खिला हुआ कंवल है,
हर दिल मे है उमंगे
हर लब पे ग़ज़ल है,
ठंडी-शीतल बहे ब्यार
मौसम गया बदल है,
हर डाल ओढ़ा नई चादर
हर कली गई मचल है,
प्रकृति भी हर्षित हुआ जो
हुआ बसंत का आगमन है,
चूजों ने भरी उड़ान जो
गये पर नये निकल है,
है हर गाँव मे कौतूहल
हर दिल गया मचल है,
चखेंगे स्वाद नये अनाज का
पक गये जो फसल है,
त्यौहारों का है मौसम
शादियों का अब लगन है,
लिए पिया मिलन की आस
सज रही “दुल्हन” है,
है महका हुआ गुलाब
खिला हुआ कंवल है…!!

५. नदियों के बहाव

नदियों के बहाव को रोका और उन पर बाँध बना डाले
जगह जगह बहती धाराएँ अब बन के रह गई हैं गंदे नाले
जब धाराएँ सुकड़ गई तो उन सब की धरती कब्जा ली
सीनों पर फ़िर भवन बन गए छोड़ा नहीं कुछ भी खाली
अच्छी वर्षा जब भी होती हैं पानी बाँधो से छोड़ा जाता है
वो ही तो फ़िर धारा के सीनों पर भवनों में घुस जाता हैं
इसे प्राकृतिक आपदा कहकर सब बाढ़ बाढ़ चिल्लाते हैं
मीडिया अफसर नेता मिलकर तब रोटियां खूब पकाते हैं

प्रकृति पर आधारित हिन्दी कवितायेँ [Hindi Poems on Nature]. प्रकृति के कारण ही सब संभव है. कुदरत और हमारी प्यारी धरती के विषय पर कुछ शानदार कविताएँ।

६. गाँव मेरा

इस लहलाती हरियाली से , सजा है ग़ाँव मेरा…
सोंधी सी खुशबू , बिखेरे हुऐ है ग़ाँव मेरा… !!
जहाँ सूरज भी रोज , नदियों में नहाता है…
आज भी यहाँ मुर्गा ही , बांग लगाकर जगाता है !!
जहाँ गाय चराने वाला ग्वाला , कृष्ण का स्वरुप है …
जहाँ हर पनहारन मटकी लिए, धरे राधा का रूप है !!
खुद में समेटे प्रकृति को, सदा जीवन ग़ाँव मेरा …
इंद्रधनुषी रंगो से ओतप्रोत है, ग़ाँव मेरा ..!!
जहाँ सर्दी की रातो में, आले तापते बैठे लोग…
और गर्मी की रातो में, खटिया बिछाये बैठे लोग !!
जहाँ राम-राम की ही, धव्नि सुबह शाम है…
यहाँ चले न हाय हेलो, हर आने जाने वाले को बस ” सीता राम ” है !!
भजनों और गुम्बतो की मधुर धव्नि से, है संगीतमय गाँव मेरा….
नदियों की कल-कल धव्नि से, भरा हुआ है गाँव मेरा !!
जहाँ लोग पेड़ो की छाँव तले, प्याज रोटी भी मजे से खाते है …
वो मजे खाना खाने के, इन होटलों में कहाँ आते है !!
जहाँ शीतल जल इन नदियों का, दिल की प्यास बुझाता है …
वो मजा कहाँ इन मधुशाला की बोतलों में आता है… !!
ईश्वर की हर सौगात से, भरा हुआ है गाँव मेरा …
कोयल के गीतों और मोर के नृत्य से, संगीत भरा हुआ है गाँव मेरा !!
जहाँ मिटटी की है महक, और पंछियो की है चहक …
जहाँ भवरों की गुंजन से, गूंज रहा है गाँव मेरा…. !!
प्रकृति की गोद में खुद को समेटे है गाँव मेरा …
मेरे भारत देश की शान है, ये गाँव मेरा… !!

आशा करता हूँ, आपको ये प्रकृति पर कुछ कविताएँ [ Hindi Poems on Nature ] पसंद आयीं हो। कृपया दोस्तों, मित्रों, बच्चों और परिवार  सदस्यों के साथ ये प्रकृति की कविताएँ जरूर शेयर करें। 

I hope you like these “Hindi Poems on Nature”. If you really like... Don't Forget to share with your friends and family “Hindi Poems on Nature” on Facebook, Whatsapp. Thanks!

1 Comments

  1. https://www.whatsappnewvideostatus.tk/2019/09/love-statuswhatsapp-love-status.html?m=1

    ReplyDelete

Post a Comment

Previous Post Next Post